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श्रीमद्भगवद्गीता
हिंदू धर्म में सबसे पवित्र धर्मग्रंथ श्रीमद् भगवद् गीता एक ऐसा महान ग्रन्थ है जिसकी लगभग दुनिया की अलग – ...
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श्रीमद्भगवद्गीता का पहला अध्याय – अर्जुनविषादयोग
अथ प्रथमोऽध्यायः- अर्जुनविषादयोग दोनों सेनाओं के प्रधान-प्रधान शूरवीरों की गणना और सामर्थ्य का कथन धृतराष्ट्र उवाच धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ...
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श्रीमद्भगवद्गीता का दूसरा अध्याय – सांख्ययोग
अथ द्वितीयोऽध्यायः- सांख्ययोग अर्जुन की कायरता के विषय में श्री कृष्णार्जुन-संवाद संजय उवाच तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम् ।विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः ॥ ...
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श्रीमद्भगवद्गीता का तीसरा अध्याय – कर्मयोग
अथ तृतीयोऽध्यायः- कर्मयोग ज्ञानयोग और कर्मयोग के अनुसार अनासक्त भाव से नियत कर्म करने की श्रेष्ठता का निरूपण अर्जुन उवाच ...
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श्रीमद्भगवद्गीता का चौथा अध्याय – ज्ञानकर्मसंन्यासयोग
अथ चतुर्थोऽध्यायः- ज्ञानकर्मसंन्यासयोग सगुण भगवान का प्रभाव और कर्मयोग का विषय श्री भगवानुवाच इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् ।विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत् ...
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श्रीमद्भगवद्गीता का पाँचवा अध्याय – कर्मसंन्यासयोग
अथ पंचमोऽध्यायः- कर्मसंन्यासयोग सांख्ययोग और कर्मयोग का निर्णय श्रीभगवानुवाच सन्न्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि ।यच्छ्रेय एतयोरेकं तन्मे ब्रूहि सुनिश्चितम् ...
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श्रीमद्भगवद्गीता का छठा अध्याय – आत्मसंयमयोग
अथ षष्ठोऽध्यायः- आत्मसंयमयोग कर्मयोग का विषय और योगारूढ़ पुरुष के लक्षण श्रीभगवानुवाच अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः ।स सन्न्यासी ...
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श्रीमद्भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय – ज्ञानविज्ञानयोग
अथ सप्तमोऽध्यायः- ज्ञानविज्ञानयोग विज्ञान सहित ज्ञान का विषय श्रीभगवानुवाच मय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युञ्जन्मदाश्रयः ।असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु ॥ ...
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श्रीमद्भगवद्गीता का आठवां अध्याय – अक्षरब्रह्मयोग
अथाष्टमोऽध्यायः- अक्षरब्रह्मयोग ब्रह्म, अध्यात्म और कर्मादि के विषय में अर्जुन के सात प्रश्न और उनका उत्तर अर्जुन उवाच किं तद्ब्रह्म ...
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श्रीमद्भगवद्गीता का नवाँ अध्याय – राजविद्याराजगुह्ययोग
अथ नवमोऽध्यायः- राजविद्याराजगुह्ययोग प्रभावसहित ज्ञान का विषय श्रीभगवानुवाच इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे ।ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात् ॥ श्री भगवान ...